Business Success Story: आज हम आपको एक ऐसी महिला की प्रेरक कहानी बताएंगे, जिनके छोटे से प्रयास ने बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया और जिनकी सराहना खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में की। यह कहानी है मध्य प्रदेश की बालाघाट ज़िले की रहने वाली सुमा उइके की, जिन्होंने मशरूम की खेती को अपना कर न सिर्फ आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की बल्कि गाँव की कई महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ दिया।
PM मोदी भी हुए प्रभावित: जानिए सुमा उइके सच्ची कहानी
आपको बता दें कि सुमा उइके की यह यात्रा बहुत साधारण तरीके से शुरू हुई। उनके पास बड़े निवेश या आधुनिक तकनीकें नहीं थीं, लेकिन उनके पास था कुछ अलग करने का जज़्बा। सुमा उइके ने गाँव की परंपरागत खेती के बजाय मशरूम की खेती को चुना। शुरुआत में उन्होंने अपने घर के एक कोने में कुछ मशरूम के बैग तैयार किए और छोटे स्तर पर उत्पादन शुरू किया।
शायद आप यह जानकर हैरान होंगे कि शुरुआती समय में उन्होंने केवल 2-3 किलो मशरूम ही तैयार किया था। लेकिन गुणवत्ता और शुद्धता की वजह से उनका उत्पाद गाँव के लोगों को इतना पसंद आया कि माँग लगातार बढ़ती चली गई।
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मशरूम की खेती से बना आत्मनिर्भरता का रास्ता: 10 महिलाओं को जोड़ा
धीरे-धीरे सुमा उइके ने अपनी मशरूम खेती का दायरा बढ़ाया। अब वे न केवल सफेद बटन मशरूम बल्कि औषधीय महत्व वाले मशरूम जैसे ऑयस्टर मशरूम की भी खेती कर रही हैं। सुमा ने अपने उत्पाद को गाँव और आस-पास के बाज़ारों में बेचना शुरू किया।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उनकी कमाई आज हजारों रुपये प्रतिमाह तक पहुँच गई है और उन्होंने अपने गाँव की 10 से ज्यादा महिलाओं को भी इससे जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया है। सुमा उइके का मानना है कि अगर किसी के पास कुछ करने का जज़्बा हो, तो छोटे साधनों से भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
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पीएम मोदी ने क्यों की तारीफ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में सुमा उइके का ज़िक्र करते हुए कहा कि वे आत्मनिर्भर भारत की सच्ची मिसाल हैं। उन्होंने यह बताया कि कैसे सुमा ने न केवल खुद को बल्कि अपने गाँव की दूसरी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया है। पीएम मोदी ने खास तौर पर उनके प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी महिलाएँ आज भारत को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे ले जा रही हैं।
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सुमा उइके की सफलता का राज
आप यह पढ़कर सोच रहे होंगे कि आखिर सुमा उइके की सफलता का असली राज क्या रहा? दरअसल, उन्होंने कम लागत में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पर ध्यान दिया और स्थानीय बाजार की जरूरतों को समझते हुए अपना काम आगे बढ़ाया। इसके अलावा उन्होंने सरकार की कृषि से जुड़ी योजनाओं का भी लाभ उठाया और समय-समय पर प्रशिक्षण लेकर अपने ज्ञान को अपडेट किया।
यहाँ एक नज़र डालते हैं सुमा उइके के मशरूम व्यवसाय की मुख्य बातें पर:
पहलू | विवरण |
---|---|
व्यवसाय | मशरूम की खेती (बटन और ऑयस्टर मशरूम) |
प्रारंभिक निवेश | बेहद कम, घर में छोटा सेटअप |
मासिक कमाई | हज़ारों रुपये प्रतिमाह |
अन्य लाभ | 10+ महिलाओं को रोजगार |
बाजार | गाँव व आस-पास के कस्बों में सीधा विक्रय |
अगर आप भी सुमा उइके की तरह मशरूम की खेती शुरू करना चाहते हैं तो आपको छोटे स्तर पर शुरुआत करनी चाहिए। इसके लिए किसी बड़े खेत या भारी निवेश की जरूरत नहीं होती। बस आपको चाहिए गुणवत्तापूर्ण बीज (स्पॉन), नमी युक्त वातावरण और साफ-सफाई का ध्यान रखने वाला छोटा सा सेटअप। साथ ही, कृषि विभाग और किसान विज्ञान केंद्रों द्वारा समय-समय पर आयोजित प्रशिक्षणों का लाभ लें ताकि आप तकनीकी रूप से मजबूत हो सकें।
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कहानी से क्या सीख मिलती है?
सुमा उइके की कहानी हमें यह सिखाती है कि बड़े-बड़े व्यवसायों की शुरुआत भी छोटे कदमों से होती है। अगर आपके अंदर कुछ अलग करने की चाह हो और आप अपने काम में ईमानदारी बरतें, तो सफलता आपके कदम चूम सकती है। ऐसे ही उदाहरण आज पूरे देश में बदलाव की लहर ला रहे हैं।
PathwayIndia.org पर हम आपके लिए ऐसे ही जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों की कहानियाँ लाते रहेंगे, ताकि आपको भी नए रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिल सके। अगर आप भी किसी छोटे व्यवसाय से आत्मनिर्भर बनने की सोच रहे हैं, तो आज ही योजना बनाना शुरू करें। आपकी सफलता की कहानी भी कल किसी के लिए मिसाल बन सकती है।
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Disclaimer: किसी भी बिज़नेस को शुरू करने से पहले अपने स्तर पर जाँच अवश्य कर लें। बिज़नेस में कई प्रकार की चुनौतियाँ हो सकती हैं, इसलिए हमेशा अपने विवेक से निर्णय लें।